सच कहूं तो मुझे डॉक्टरों पर भरोसा करने से डर लगता था। वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे? एक चिंता यह भी थी कि मैं चाहे उनसे कुछ भी कहूं, वो बस घूम-फिर कर मुझे दवाइयां ही देते रहेंगे। मेरा क्वीयर होना मेरी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन मैं कई लोगों को यह नहीं बता सकता।

- सदम हंजबम, मणिपुर
Vikram Patel
Expert advisor,
Harvard Medical
School and Sangath

Hiren's Story

कहकशां की कहानी

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हेलो! मेरा नाम कहकशां है। भारत में रहनेवाली 21 साल की मुस्लिम औरत होने के नाते, मैं खुद को अपनी अलग-अलग पहचानों के बीच बंटा हुआ पाती हूं। ये है मेरी कहानी - जिसमें आप देखेंगे कहां से मेरा सफ़र शुरू हुआ, मैं कहां जा रही हूं, और मेरी बदलती राहें। ये राहें मुझे उस मज़िल की तरफ़ ले जाएंगी जहां मैं अपनी पहचान खुद ढूंढूंगी।

Hiren's Story

नमरिता की कहानी

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नमस्ते, मैं नमरिता। मुझे विश्वास है कि उचित सपोर्ट सिस्टिम, जीवन रक्षक साबित हो सकती है। मेरे बचपन में ही मेरी मां को स्कीजोफ्रेनिया जैसी पुरानी (क्रोनिक) और कठिन बीमारी ने जकड़ लिया था। जिसके कारण मेरा बचपन बहुत संघर्षपूर्ण बीता। एक छोटी बच्ची, मां की देखभाल करने वाली और एक विद्यार्थी की भूमिकाएं, मुझे एक साथ निभानी पड़ी। लेकिन जब मैंने इस मुश्किल दौर में मदद मांगी तब मेरे जीवन में एक अच्छा मोड़ आया। जो बातें मुझे चिंतित करती थी, उन्हें मैंने दुसरों के साथ शेयर किया, साथ ही डायरी लिखना और अन्य लेखन शुरू किया। इससे आधार और सहारे, मेरे लिए दुनिया खुल गई।

Hiren's Story

अंजलि की कहानी

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हेलो, मैं अंजलि हूं। मैं चाहती हूं कि लड़कियां यह महसूस करना बंद करें कि कोई हमारी बात सिर्फ इसलिए नहीं सुनेगा क्योंकि हम लड़कियां हैं। मेरे समुदाय में एक महिला का आगे बढ़ना कई बार बहुत मुश्किल हो सकता है क्योंकि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके बारे में बात नहीं की जाती है। ये मेरी कहानी है।

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सैम की कहानी

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हेलो, मैं हूं सैम। मुझे मेरी नानी ने पाल-पोस कर बड़ा किया है क्योंकि जब मैं एक दूध-पीती बच्ची थी तब अपने माता-पिता से अलग हो गयी थी। उस खालीपन को कोई नहीं भर पाया है। मैं चाहूंगी कि आप मेरी कहानी पढ़ें क्योंकि मैं सब को बताना चाहती हूं कि आप अपनी ज़िंदगी खुद बना और संवार सकते हैं।

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विदुषी की कहानी

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हेलो, मैं हूं विदूषी कर्नाटिक, हल्द्वानी से। मैंने मानसिक रोग का सामना किया है और अब मैं पूरी तरह से ठीक हो चुकी हूं। मैं अपनी कहानी आपको इसलिए बता रही हूं क्योकि मेरे सफ़र का सबसे मुश्किल हिस्सा मानसिक रोग नहीं था, बल्कि उस से जुड़ा हुआ कलंक था।

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पावेल की कहानी

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हेलो, मैं पावेल सागोलसेम हूं। मेरी पैदाइश एक पुरुष के रूप में हुई थी पर मुझे जल्द ही पता चल गया कि कहीं कुछ सही नही है। यह मेरी कहानी है जहां मैंने अपने आप को एक नॉन-बाइनरी रूप में पहचाना और दुनिया को बाइनरी दृष्टिकोण से देखना बंद किया।

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तारिणी की कहानी

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हेलो, मैं तारिणी चावला हूँ, चंडीगढ़ से। मेरा भी एक सपना था मेरी आनेवाली ज़िन्दगी के बारे में पर ज़्यादातर हम जैसा सोचते हैं वैसा होता नहीं है। समय के साथ वो तस्वीर बदल जाती है। ऐसा होने पर मैंने यह जाना कि उसमें भी कहीं न कहीं कुछ भला ही छिपा होता है।

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सदम की कहानी

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हेलो, मेरा नाम सदम है। मैं मणिपुर का रहनेवाला हूँ। अपनी हक़ीक़त को अपनाने के इस सफ़र ने, न सिर्फ़ मेरी जान बचाई बल्कि इस ही की वजह से आज मैं या आल नाम की एक संस्था शुरू कर पाया हूँ। या आल भारत के उत्तर-पूर्वी इलाक़े में युवाओं और क्वीयर लोगों द्वारा चलाया जानेवाला और उनके ही लिए बना पहला रजिस्टर्ड संघ है।