लैंगिक पहचान और यौन वरीयता के आधार पर शोषण, समाज की रूढ़िवादी धारणाएं जो जाति या धर्म के आधार पर प्रेम-संबंधों या विवाह पर रोक लगाती हैं, पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने पर ज़ोर, जाति-भेद और यौन उत्पीड़न जैसे कई कारणों से युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
अपर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था और अनुभवी विशेषज्ञों की कमी के कारण इस विषय पर संवाद का मंच और मदद मांगने के रास्तों का अभाव है। जन-सामान्य में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है। इन से होनेवाली परेशानियों और बीमारियों से जुड़ी बदनामी के डर से लोग इसे गुप्त रखते हैं और चुपचाप पीड़ा सहते हैं।