'मन मेला' भारत के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कहानियों का संग्रहालय है।
समस्या के कारण
भारत में 10-24 वर्ष के युवाओं की संख्या संसार में सब से ज़्यादा है। उनकी सेहत के मामले में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या सर्वोपरि है। भारतीय समाज के युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित योजनाओं में निवेश नहीं के बराबर होने के कारण स्थिति काफ़ी गंभीर हो चुकी है। यहां 10% से भी कम नौजवानों के पास मानसिक स्वास्थ्य सेवा के लाभ उठाने के साधन हैं और विश्व में इस आयु-वर्ग में आत्महत्या करनेवाले सबसे ज़्यादा लोग भारत में हैं। 
लैंगिक पहचान और यौन वरीयता के आधार पर शोषण, समाज की रूढ़िवादी धारणाएं जो जाति या धर्म के आधार पर प्रेम-संबंधों या विवाह पर रोक लगाती हैं, पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने पर ज़ोर, जाति-भेद और यौन उत्पीड़न जैसे कई कारणों से युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। 

अपर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था और अनुभवी विशेषज्ञों की कमी के कारण इस विषय पर संवाद का मंच और मदद मांगने के रास्तों का अभाव है। जन-सामान्य में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है। इन से होनेवाली परेशानियों और बीमारियों से जुड़ी बदनामी के डर से लोग इसे गुप्त रखते हैं और चुपचाप पीड़ा सहते हैं।
हमारी रूपरेखा
हमारी रूपरेखा बहुत आसान है | हमारा मानना है कि लोगों की मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित निजी कहानियां सांझा कर, हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहाँ कोई भी युवा अपने मानसिक स्वास्थ्य के कारण पीछे ना रहे। 
निजी अनुभवों का महत्व
मानसिक स्वस्थ्य से जुड़ी बात-चीत को लोगों के निजी कहानियों के द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है। मन मेला युवाओं के अनुभव को अपने काम के हर कदम पर शामिल करता है।
डिजिटल मीडिया का उपयोग
हर कहानी कला और टेक्नोलॉजी की मदद से दर्शाई गई है।
सहभागी
या आल मणिपुर
यूथ फॉर मेंटल हेल्थ
लोनेपैक
समरीटन मुंबई
युवा
मेंटल हेल्थ टॉक्स इंडिया
इन्विज़िबल इल्नेस इंडिया
टींज़ फ़ोर टींज़