सेक्स, जेंडर, सेक्सुअलिटी और मानसिक स्वास्थ्य
हम कौन हैं?
हमारी पहचान एक बहुत ही खूबसूरत उलझन है। यह कई पहलुओं से मिलकर तैयार होती है जैसे कि हम कहां के मूल निवासी हैं, हमारी उम्र, जातीयता, धार्मिक रुझान, भाषाएं जो हम बोल सकते हैं, लिंग, हमारी लैंगिक पहचान और लैंगिकता (सेक्सुअलिटी)। इनमें से कई पहलू एक-दूसरे पर असर डालते हैं और कई पहलुओं में बदलाव भी आता है। हम सभी के लिए "मैं कौन हूं?", इस प्रश्न का एक निर्धारित उत्तर नहीं होता।
लिंग, लैंगिक पहचान, लैंगिकता और मानसिक स्वास्थ्य
हम अपने बारे में क्या सोचते और महसूस करते हैं, इस पर गहरा प्रभाव डालने वाले कई कारण हैं जैसे कि - हमारा प्राकृतिक लिंग (एक पुरुष या स्त्री के रूप में पैदाइश), हमारी लैंगिक पहचान (आप ख़ुद को पुरुष मानते हैं, या स्त्री या फिर इन दोनों लिंगों के बीच या बाहर की श्रेणी का समझते हैं) और आपकी यौन वरीयता या सेक्सुअलिटी (आप शारीरिक और प्रेम संबंधों के लिए किस की तरफ आकर्षित होते हैं)। दूसरे लोग हमारे साथ किस तरह बर्ताव करते हैं यह भी ज़्यादातर इन ही बातों से तय होता है।
आइए कुछ उदाहरणों की मदद से देखें कि हमारे लिंग, लैंगिक पहचान,
लैंगिकता (सेक्स, जेंडर, सेक्सुअलिटी) का हमारे मानसिक स्वास्थ्य
पर कैसे असर पड़ता है।
सीमा एक जवान अनब्याही मां है। उसका परिवार उसकी इच्छा का आदर और समर्थन करता है पर उसके पड़ोसी और हाउसिंग एसोसिएशन के सदस्य अनब्याही मां होने के कारण उस पर उंगली उठाते हैं। इन अनुभवों ने सीमा के आत्मविश्वास को काफ़ी चोट पहुंचाई है। अपमान और बुरे बर्ताव के बारे में सोचकर उसे अब घर से निकलने में भी डर लगता है। वो कहीं बाहर जाने से कतराती है। उसे अपनी बेटी और अपने परिवार के साथ समय बिताने में सुकून मिलता है क्योंकि वो जानती है कि वह एक अच्छी मां है।
मेघना का अभी कॉलेज में दाखिला हुआ है। इसी दौरान उसने अपने माता-पिता के सामने इस बात का खुलासा किया कि वह क्वीयर (समलैंगिक) है। उसके माता-पिता बहुत नाराज़ और दुखी हैं। उन्होंने उस से कहा है कि वह यह बात किसी और को न बताए। वो उसके लिए एक वर की तलाश कर रहे हैं। उनका मानना है कि शादी हो जाने से वह 'ठीक' हो जाएगी। मेघना की एक गर्लफ्रेंड है जिस से वह छिप-छिप कर मिलती है। इस रिश्ते के भविष्य को लेकर मेघना चिंतित है क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड दुनिया के सामने अपने संबंधों को मानने से इंकार करती है। मेघना पर शादी का दबाव बढ़ता जा रहा है। वो निराश है और ख़ुद को एक जाल में फंसा हुआ महसूस करती है। उसे आत्महत्या का विचार भी आया जिसकी वजह से उसने अपने कॉलेज के काउन्सलर से मदद मांगी। काउन्सलर का पूरा समर्थन अब उसे मिल रहा है।
रवि एक सफ़ल नवयुवक है जिसने नया स्टार्ट-अप शुरू किया है। उसका परिवार आर्थिक रूप से उस पर निर्भर है। उन्हें उस पर बहुत गर्व है। इधर कुछ दिनों से रवि रात को डरावने सपने देख रहा हैं। बचपन में उसके टीचर ने उसे सेक्सुअली अब्यूज़ किया था। उसे सपने में इसी से संबंधित बातें दिखती हैं। यही कारण है कि आजकल वो दिन में चिड़चिड़ा हो गया है और तनाव से घिरा रहता है। इस से उसके काम पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। रवि डरता है कि अगर उसने किसी को अपनी समस्या के बारे में बताया तो वो उसे कमज़ोर समझेंगे और उसकी मर्दानगी की खिल्ली उड़ाएंगे। रवि अब्यूज़ सर्वाइवर्स के एक ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप का बेनाम सदस्य है। वहां से वह इस परिस्थिति का सामना करने के उपाय सीख रहा है।
आशा एक ट्रांस-वुमन है। वह 25-26 साल की है। वह संगीत जगत में एक एजेंट के तौर पर काम करती है। वह जानती है कि जब भी वह किसी क्लाइंट से पहली बार मिलती है तब उन्हें ज़रा धक्का ज़रूर लगता होगा क्योंकि जैसा उन्होंने सोचा था वह वैसी नहीं दिखती। पहले उसे इस बात का बहुत बुरा लगता था। वो बार-बार यही सोचती रहती कि लोग उसे कैसे देखते हैं और उसके बारे में क्या कहते हैं। वह जहां काम करती है वहां की कंपनी-नीतियां भेदभाव-विरोधी हैं। उन कड़े नियमों और उसके साथ काम करने वाले सहकर्मियों की मदद से अब उसे नए लोगों से मिलने में कोई चिंता या कठिनाई नहीं होती। अगर आशा उन्हें पसंद नहीं या वे उसके साथ बदतमीज़ी करते हैं तब यह बात उनकी समस्या है, आशा की नहीं!
आसिफ़ ने अभी-अभी स्कूल छोड़ा है। वहां उसे बहुत चिढ़ाया जाता था क्योंकि उसकी कुछ आदतें लड़कियों जैसी थीं। बच्चे उस पर दादागिरी करते और उसे गे (समलैंगिक) कहते। घर पर उसकी मां उसमें ख़ामियां निकालती रहती और और पिताजी उसकी जमकर पिटाई करते ताकि उसकी आदतें मर्दों जैसी बनें। आसिफ़ अपनी सेक्सुअलिटी और जेंडर (लैंगिक पहचान) को लेकर बहुत उलझन में है। उसे लगता है वह लड़कों और लड़कियों, दोनों की तरफ आकर्षित होता है। उसे अपने शरीर के संबंध में बेचैनी और कई सवाल हैं। वो सोचता है शायद उसमें ही कोई ख़ामी है। ऑनलाइन पता करने के बाद उसे लगा शायद उसे 'जेंडर डिस्फोरिआ' हो सकता है। इसमें व्यक्ति को अपने पैदाइशी लिंग और खुद महसूस होनेवाली लैंगिक पहचान में फर्क दिखता है। इस विषय पर पढ़ने के बाद आसिफ़ को लगा कि वो इस परेशानी में अकेला नही है पर आज भी वह इन बातों का मतलब ठीक से समझ नहीं पाया है।
अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख़याल रखना
आपको यदि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनका संबंध सेक्स, जेंडर और सेक्सुअलिटी से है तब यह कुछ बातें आपकी मदद कर सकती हैं:
ख़ुद के प्रति सहानुभूति और स्वीकृति
लोग हमारी निंदा और हमारे साथ भेद-भाव करें तब हम निराश हो जाते हैं। हमें लगता है हम में कोई कमी है। इस तरह के दबाव से बचने के लिए हमें ख़ुद पर दया दिखानी होगी। हमें ख़ुद को अपनाना होगा। ऐसा करने से हम सुरक्षित महसूस करेंगे और जैसे हैं वैसे खुश रहेंगे। यह मानना भी ज़रूरी है कि हम इज़्ज़त के लायक हैं और वह हमें मिलनी चाहिए। अपनी सोच को ऐसा बना लेने पर हम जब ज़रुरत पड़े तब अपनी मदद ख़ुद कर पाएंगे। अपने इस दयावान रूप की कल्पना आप किसी मशहूर व्यक्ति, किसी प्राणी या किसी भी नए अंदाज़ में कर सकते हैं। उस रूप में अगर वो आपके सामने होते तो आप से क्या कहते, किस तरह बताते कि आप उन्हें 'जैसे हैं वैसे' पसंद है? आपको किस तरह हौंसला देते? जितना आप इसके बारे में सोचेंगे उतनी ही आपको शक्ति मिलेगी।
ख़ुद की देखभाल करें
अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें: एक्टिव बनें, चलते-फिरते रहे (उदाहरण के लिए, व्यायाम से आपका मूड अच्छा रहेगा), पूरी नींद लें, संतुलित पेटभर आहार लें और शराब या ड्रग्स न लें।

ऐसे काम करें जो आपके लिए महत्वपूर्ण हों: दिनचर्या में ऐसे कामों को रखें जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। यह ऐसे काम हो सकते हैं जिन्हें करना ज़रूरी है, जो आपको दूसरों से जुड़े रहने में मदद करते हैं या जिन्हें करने में आपको मज़ा आता हो।

रिलैक्सेशन के तरीकों का इस्तेमाल करें: दिन भर के कामों में से रिलैक्स करने के लिए कुछ समय निकालें। आप गहरी सांस और सरल स्ट्रेचिंग के व्यायाम कर सकते हैं, गाने सुन सकते हैं, ऑनलाइन उपलब्ध रिलैक्सेशन व्यायाम या निर्देशित ध्यान (गाइडेड मैडिटेशन) के वीडियो का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मदद लें
ऐसे लोगों के बारे में पढ़े या उनसे बात करें जिन्हे हमारी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा हो। इस से हमारा अकेलापन कम होगा और हमें अपने अनुभवों को समझने में मदद मिलेगी। हमारी वेबसाइट पर सांझा की गई कहानियों को पढ़ें। आपको अपने जैसे बहुत से युवा मिलेंगे जो सेक्स, जेंडर और सेक्सुअलिटी के विषयों पर बात कर रहे हैं। आपको वहां देश भर के ऐसे सपोर्ट ग्रुप, संस्थाओं और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी मिलेगी जो ख़ासकर औरतों या LGBTQ+ लोगों से संबंधित है। कुछ सेवाओं की सूची यहां दी गई है। आप ऑनलाइन जाकर 'LGBTQ+ friendly mental health services' की खोज भी कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की राय लेने या उनसे इलाज करवाने का फैंसला आपके हाथ में है।
LGBTQ+ सेवाएं
Ya’all Helpline हेल्पलाइन: मणिपुर में LGBTQ+ लोगों के लिए पीयर सपोर्ट +91 6009032883

Nazariya QFRG: LGBTQ+ लोगों पीयर काउन्सलिंग +91 9818151707 (सोमवार - शुक्रवार, 10 AM - 6 PM)

Orinam: LGBT लोगों और उनके परिवारों की मदद के लिए http://orinam.net/

Sappho for Equality: भारत के पूर्वी भाग में सुरक्षित जगह, पीयर काउन्सलिंग, मुसीबत में बीच-बचाव, और लेस्बियन्स (समलैंगिक औरतों), बाइसेक्सुअल (उभयलिंगी) औरतों, F से M ट्रांसपर्सन (परलैंगिक) के लिए जानकारी का केंद्र +91 98315 18320 (रोज़ 10 AM से 9 PM तक
महिलाओं के लिए सेवाएं
घरेलू और यौन हिंसा सर्वाइवर्स के लिए काउन्सलिंग मदद

Swayam: +91 98307 72814 सोमवार - शुक्रवार, 10 AM - 2 PM. काउंसलर्स अंग्रेज़ी, हिंदी और बंगाली भाषाओँ में निपुण।

घरेलू और यौन हिंसा से इस समय जूझते पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन -

Swayam (कोलकाता): 9830079448, 98302 04393, 98302 04322, 98307 37030, 98307 47030, सोमवार - शुक्रवार, 10 AM - 6 PM रोज़।

Shakti Shalini (दिल्ली): 011 24373737 सोमवार - शुक्रवार, 10 AM - 5 PM

Sneha (मुंबई): 022 24100511

Sakhi (भोपाल): 8989585097

ग्रामीण महिला केंद्र (North East Network द्वारा): 9365648832