आत्मक्षति की रोकथाम
आत्मक्षति क्या है?
आत्मक्षति ऐसे व्यवहार को कहते हैं जिसमें कोई ख़ुद को जानबूझ कर तकलीफ या चोट पहुंचाना चाहे। इसके कई रूप हो सकते हैं जैसे कि किसी धारदार वस्तु से अपनी त्वचा पर घाव करना, शरीर को माचिस या किसी गर्म चीज़ से जलाना, ज़रुरत से ज़्यादा अथवा कम भोजन करना या विषैले पदार्थ खाना। दर्दनाक भावनाओं को महसूस करते समय या असहनीय यादों का सामना करते वक़्त कई लोग आत्मक्षति का रास्ता अपनाते हैं। वो ऐसा क्यों करना चाहते हैं यह कारण हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। कुछ लोग एक या दो बार अपने आप को चोट पहुंचाते हैं क्योंकि उनके किसी क़रीबी दोस्त ने ऐसा किया होगा, जिस से उन्हें यह विचार आया। ऐसे कुछ लोगों के अलावा बाकियों के लिए यह एक ख़तरनाक आदत बन सकती है जिसके दुष्चक्र को आगे चल कर तोड़ना मुश्किल जाएगा। यह याद रखना ज़रूरी है कि आत्मक्षति (ख़ुद को नुकसान पहुंचाने) के ख़तरे सच और वास्तविक हैं। इन्हें केवल 'ध्यान आकर्षित करने का ज़रिया' मानकर अनदेखा नहीं करना चाहिए और न ही इन्हें कोई छोटा-मोटा संकट मानना चाहिए।
ख़ुद को नुकसान पहुंचाने से स्वयं को कैसे बचाएं
1.
पैटर्न को पहचानें
ऐसा व्यवहार जो आप बार-बार दोहराते हैं उसे पैटर्न कहते हैं, इसे पहचानें। आत्मक्षति करने के लिए आपको उकसाने वाली वजहें ट्रिगर बनकर चिंगारी का काम करती हैं। उनका पता लगा कर उस चिंगारी को आग बनने से पहले रोकने में आप ख़ुद अपनी मदद कर सकते हैं। ये कारण/ ट्रिगर्स कोई भी हो सकते है जैसे कुछ ख़ास लोग, परिस्थितियां, सालगिरह, अनुभूतियां, कुछ व्यक्तिगत विचार या भावनाएं। यह तीव्र इच्छा किसी शारीरिक वजह से भी हो सकती है जैसे कि:
  • दिल की तेज़ धड़कन या भारीपन
  • गहरे दुःख या गुस्से की भावना
  • ख़ुद का होश न रहना या कुछ भी अनुभव न कर पाना (नो सेंसेशन)
  • आत्मक्षति (ख़ुद को नुकसान पहुंचाने) के निरंतर आते विचार
इन कारणों/ट्रिगर्स के बारे में आप जो भी देखते या महसूस करते हैं उन्हें एक जगह पर लिखें। इस से अगली बार आप को जब भी ऐसा कुछ लगेगा तब आप उसे तुरंत पहचान पाएंगे।
2.
व्यवहार बदलें
एक बार जब आपको इन कारणों/ट्रिगर्स का ख़ासा अंदाज़ा हो जाए और आप आत्मक्षति करने की इच्छा को पहचानने लगें तब आप अपने व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं। इस इच्छा के अनुसार काम करने की जगह इसके बदले कुछ और करें। ऐसा कोई दूसरा काम करें जिस से आपको बेहतर महसूस होगा, मन की भड़ास निकलेगी। उदाहरण के लिए:
  • व्यायाम
  • तकिये को घूंसा मारें
  • चिल्लाएं और नाचें
  • कपड़े का गुच्छा चबाएं
  • किसी चीज़ को टुकड़ों-टुकड़ों में फाड़ें (पेपर/कपड़ा)
  • दौड़ने जाएं
  • ख़ुद को कंबल में लपेट लें
  • कुछ मज़ाकिया हलके-फ़ुल्के वीडियो देखें
  • किसी दोस्त को मैसेज भेजें
  • धीरे-धीरे गहरी सांसें लें
  • वो सब लिखें जो आप महसूस कर रहे हैं
    (चाहें तो आप इसे बाद में फाड़ कर फेंक सकते हैं)
  • अपनी कलाई पर रबरबैंड मारें
  • हाथ पर बर्फ का टुकड़ा रखें
  • ठंडे-ठंडे पानी से नहाएं
3.
विशेषज्ञों की मदद लें
आत्मक्षति से मुकाबला करना काफ़ी मुश्किल हो सकता है। इसका सामना करने में बहुत लोगों को किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेने से फ़ायदा हुआ है। आत्मक्षति को समझने और उस से लड़ने में काम आने वाले प्रभावी उपाय/इलाज बताने में वो आपकी सहायता कर सकते हैं।
किसी और की मदद कैसे करें?
हम कैसे कर सकते हैं मदद?
आत्मक्षति के व्यवहार को अपनाने वाले लोगों की मदद आप कई प्रकार से कर सकते हैं। आप उनके जीवन में एक बदलाव ला सकते हैं। ऐसा करने के लिए इन बातों को ध्यान में रखें:
  • उनकी आलोचना या उनके साथ भेद-भाव न करें
  • उस व्यक्ति को बताएं कि आप उनका साथ देंगे
  • उनके पूरे व्यक्तित्व से नाता रखें, न कि सिर्फ उनके आत्मक्षति वाले व्यवहार से
  • सहानुभूति दिखाएं और उन्हें समझने की कोशिश करें
  • उनके निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें
  • उन्हें उनके गुणों और हुनर की याद दिलाएं
  • उनसे सिर्फ़ सच्ची बात कहें, चाहे वह बात आपके मन में छिपे किसी डर की हो क्यों न हो
किन बातों से बचें
हम कितनी भी अच्छी नीयत से उनकी मदद करना चाहें, कुछ बातें कभी-कभी उल्टा ही असर कर देती हैं। इस भूल से बचने के लिए इन निर्देशों पर ध्यान दें:
  • ज़बरदस्ती बदलाव लाने की कोशिश न करें
  • उन्हें डरा-धमका कर या उनके निर्णय को उन से छीन कर कोई बात न करें
  • किसी चोट को न अनदेखा करें और न ही ज़रुरत से ज़्यादा उस पर ध्यान दें - बीच का रास्ता अपनाएं
  • आत्मक्षति को केवल 'ध्यान आकर्षित करने' का नाम न दें