डिप्रेशन का सामना
डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन का अर्थ केवल निराश होना नही है। आजकल डिप्रेशन शब्द का इस्तेमाल अस्थाई उदासी, दुःख और मायूसी जैसी भावनाओं के लिए होने लगा है। यह ग़लत है। दो हफ़्तों से भी ज़्यादा समय तक रहनेवाली उदासीनता को अवसाद या डिप्रेशन कहते हैं। इसमें लोग बहुत ज़्यादा निराश और निरुत्साही रहते हैं। नकारात्मक खिन्नता और अपराध बोध से घिरे रहते हैं। ख़ुद में ख़राबियां ढूंढते हैं। उनकी नींद, भूख, स्मरणशक्ति और ध्यान लगाने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और कम एनर्जी की वजह से वे अंतर्मुखी एवं चिड़चिड़े हो जाते हैं। पुरुषों में यह पाया जाता है कि उन्हें निराशा कम होती है पर गुस्सा ज़्यादा आता है।
डिप्रेशन क्यों होता है?
सभी मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की तरह डिप्रेशन भी कई कारणों से होता है जैसे कि वंशाणु (जीन्स), बचपन के अनुभवों का असर, तनावपूर्ण परिस्थितियां जिस से वे इस वक़्त गुज़र रहे हों और अवसाद/ डिप्रेशन से मुकाबला करने के उनके व्यक्तिगत तरीके। सब को अलग-अलग कारणों से डिप्रेशन हो सकता है पर इस से पीड़ित लोगों को अक्सर ज़िंदगी में कोई बड़ा धक्का लगा होता है (प्यार में ब्रेक अप, किसी प्रियजन की मृत्यु, पढ़ाई में फेल होना) या उनके साथ कोई दुखद घटना हुई होती है (लैंगिक या शारीरिक उत्पीड़न)। कई बार यह भी देखा गया है कि कभी बिना किसी वजह के भी लोग अवसाद/ डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं
डिप्रेशन का चक्र क्या है?
डिप्रेशन में बार-बार आनेवाले नकारात्मक विचारों और उन से जुड़ी भावनाओं के घटनाचक्र से जूझना बहुत कठिन होता है। यह लोगों को निराश और अकेला महसूस कराता है।
डिप्रेशन से सामना कैसे करें?
डिप्रेशन से लड़ने के कई उपाय हैं। ये उपाय आपको नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहने में मदद करेंगे। आपको एक विपरीत सकारात्मक दिशा में ले जाकर डिप्रेशन के हानिकारक चक्र को तोड़ेंगे।
1.
व्यायाम
सैर करें, खेल-कूद में भाग लें। नियमित व्यायाम करने से आप डिप्रेशन से आनेवाले खालीपन और निराशा से दूर रहेंगे। इस से आपको आत्म-बल मिलेगा और सफलता का बोध होगा।
2.
ऐसे काम करें जो आपके लिए महत्वपूर्ण हों
अपनी दिनचर्या में ऐसे कामों को रखें जो आपको प्रिय हों और आपकी ज़िन्दगी में मायने रखते हों। ये काम कई तरह के हो सकते हैं - जिनसे आपको दूसरों से जुड़ने और करीब होने का एहसास होता हो, जो आपको ख़ुशी देते हों या फिर वो काम जिन्हें करना बहुत ज़रूरी है। इन कामों को अवश्य करें, टालें नही, भले ही डिप्रेशन की वजह से आपको इन्हें करने का बिलकुल भी मन न कर रहा हो। यह डिप्रेशन के विषैले चक्र को तोड़ने का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है। जितना आप अपने मनपसंद काम करेंगे उतना ही आपको आनंद मिलेगा और तसल्ली मिलेगी कि आप सही राह पर हैं।
3.
नकारात्मक विचारों से दूर रहे
इस बात को ध्यान में रखें कि डिप्रेशन से आनेवाले बुरे ख़यालों में कोई सच्छाई नही है। आप से, दूसरे लोगों से या बाकी पूरी दुनिया से संबंधित जो भी विचार आपको इस समय आते हैं उनमें असलियत कम और भ्रम ज़्यादा होता है। वो तथ्यों की नही, डिप्रेशन की आवाज़ है जो अच्छी बातों को नज़रअंदाज़ कर सिर्फ नकारात्मक चीज़ों पर केंद्रित रहती है। डिप्रेशन की आवाज़ को अनसुना करे के लिए इन संकेतों की तरफ ध्यान दें:
तथ्य या मत
ख़ुद से पूछें कि इस विचार में क्या वाक़ई कोई सच्चाई है ( ठोस सबूतों पर आधारित जानकारी) या फिर यह सिर्फ एक राय है (किसी भावना पर आधारित एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण)? आपको समझ आने लगेगा कि डिप्रेशन की आवाज़ के पास कहने को तो बहुत कुछ है पर वो सच्चाई पर कम और फ़र्ज़ी ख़यालों पर ज़्यादा निर्धारित है।
अनदेखा-अनसुना करें
हम सभी जानते हैं कि कोई धौंस जमाए या दादागिरी करे तो उसका सबसे बढ़िया उपाय है उस पर ध्यान ही न देना, इग्नोर करना। डिप्रेशन की आवाज़ के साथ भी हम ऐसा ही कर सकते हैं। जब नकारात्मक विचारों के बादल मंडराने लगते हैं तब हम उन्हें अनदेखा और अनसुना कर दें तो वो अपने आप छंटने लगेंगे।
आत्मबोध
स्वयं की पहचान को आत्मबोध कहते हैं। हमें अपनी भावनाओं और चिंतन प्रणाली का स्पष्ट रूप दिखने लगे, तब समझ जाएं कि इस यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। उथल-पुथल मचाते विचारों की दुनिया से एक कदम पीछे हटें, एकाग्र चित्त से ध्यान लगाएं और आत्मबोध का अनुभव करें। विचारों को खुली छूट दे दें जिस से वो बेरोक-टोक आ-जा सकें पर आप को छू भी न सकें। ऑनलाइन उपलब्ध मैडिटेशन ऐप्स की मदद से आत्मबोध (माइंडफुलनेस) की क्रियाएं कर के देखें।
4.
विशेषज्ञों की मदद लें
डिप्रेशन के इलाज के लिए कई प्रभावी विकल्प मौजूद हैं जैसे कि थेरेपी, काउंसलिंग और दवाइयां।